Sunday, August 9, 2009

कुछ चाह लिया मैने


कुछ चाह लिया मैने
फिर उस चाहत के साथ हज़ारों कदम चली हूं
क्या मिल चुका क्या मिलने वाला है
ये सोच लिया तो लगा
अभी तो बहुत कम चली हूं

अभी और कदम बढ़ाऊँगी
जो मिला ही नही भी तक
उस तक जाऊंगी

कभी तुम खुश कभी कुछ खफा
कभी हम दोनो पूर-मुहब्बत कभी बेवफा
कितने ही रंग देखे रिश्ते ने
कितना ही हम दोनो बदलते रहे
पर ये सच है
एक दूसरे के लिए चल पड़े तो बस चलते रहे

आज तुम्हारे वादों के सहारे दुनिया को मना लिया है
लोगों ने तुम्हे मुझ को देने का मन बना लिया है
तो सारी थकान मिट गयी है
जोश ताज़ा है अब ताक़त नयी है

अब तुम तक आने के लिए
ज़िंदगी भर का सफ़र कर सकती हूं
ज़िंदगी के बाद की भी बात हो अगर
तो मर सकती हूं

मरने की बात पर नाराज़ हो ना?
अपनी ये खफगी भी मुझे दो ना
और मैं तुम्हे देती हूं वो सपने
जो तुम्हारी हां और दुनिया के
इकरार से आए हैं
जो मेरी इन आँखों में बहुत प्यार से आए हैं

इस बार इन सपनो को कुछ देर धूप में सुखाना
ये भीगे हुए हैं अभी गीले हैं
बहुत हसीन हैं मगर सीले हैं

क्यों कि तुम्हारी हां के बाद
दुनिया को मनाने से पहले
बहुत रोई हूं
जब तय हो गया कि सपने आएँगे
तब कहीं मैं सोई हूं
इस लिए सपनो में नमी है
तुम इन्हे सूखा भी देना पूरा भी करना
सपनो में जो भी कमी है
जो भी नमी है

तुम पर ये ख्वाब पुर करने की ज़िम्मेदारी है
मैं तुम्हरी हो चुकी सपने तुम्हारे हो चुके
अब ज़िंदगी की बारी है

कल हर एक सांस तुम से पूरी होगी
साँसों से साँसों की बस
एक सांस की दूरी होगी
कल हर एक सांस तुम से पूरी होगी

1 comment:

Nidhi said...

congrates...taht ur will get u love... many god bless u...