तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
फूलों की तरह किताबों मैं संभालूंगी
हर शब एक लफ्ज़ पढ़ूँगी और
हर शब नये मानी निकालूंगी
तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
हर लफ्ज़ में मैं तुम को पालूंगी
तुम फिर मिलो की ना मिलो मुझ को
मैं अल्फ़ाज़ को बच्चों की तरह पालूंगी
तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
मैं खामोशी मैं ही हर बात छिपा लूँगी
मुमकिन है किसी रोज़ मेरा भी खत मिले
तुम्हे खुद को कब तक रोकूंगी कब तक टालून्गी
हाँ तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
15 comments:
"यूं ही खत लिखते रहना........
bade hi sundar bhaw sir ji...
han ye batayiyega khat aaya ya nahee...hahahah
achha laga padhna..
सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....
तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
मैं खामोशी मैं ही हर बात छिपा लूँगी
मुमकिन है किसी रोज़ मेरा भी खत मिले
तुम्हे खुद को कब तक रोकूंगी कब तक टालून्गी
हाँ तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
इन्साल्लाह वो यूँ ही ख़त लिखती रहे आपको ...अच्छी शायरी करते हैं आप ......!!
बहुत ही उम्दा रचना
मैं खामोशी मैं ही हर बात छिपा लूँगी
मुमकिन है किसी रोज़ मेरा भी खत मिले
anil kya baat hai.....
kitni sadgi aur mitthas ghole ker shabdo ko chuna hai....
तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
हर लफ्ज़ में मैं तुम को पालूंगी
तुम फिर मिलो की ना मिलो मुझ को
मैं अल्फ़ाज़ को बच्चों की तरह पालूंगी
खत की कहानी... हमारे दिल उतर गई पुरानी यादों को लेकर.....रचना लाज़वाब है।
तुम फिर मिलो की ना मिलो मुझ को
मैं अल्फ़ाज़ को बच्चों की तरह पालूंगी
sundar
Itni muhabbat se kahogi, to koi kyun na likhega....?
Behad khoobsoorat!
मॆं तो यही कहूंगा अनिल जी आप इसी तरह कवितायें लिखते रहिये.प्रेम की अति-सुन्दर अभिव्यक्ति.किसी शायर ने कहा हॆ:-
कॊन कहता हॆ,मॊहब्बत में जुबां होती हॆ
अरे यह तो वो हककीकत हॆ जो नजरों से बयां होती हॆ.
तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
फूलों की तरह किताबों मैं संभालूंगी
हर शब एक लफ्ज़ पढ़ूँगी और
हर शब नये मानी निकालूंगी
मैं अल्फ़ाज़ को बच्चों की तरह पालूंगी
behatar zajbat--likhte rahein--
बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी लोगों का मेरे कविता को प्यार देने के लिये
Wonderful...wah wah wah!!!!!!!
Anonymous said...
Wonderful...wah wah wah!!!!!!!
shukriyaa
dis is even more nicee.....short but too effective....pyar ki gehrai dikhati hai yeh lines bhi
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