Sunday, August 23, 2009

यूं ही खत लिखते रहना


तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
फूलों की तरह किताबों मैं संभालूंगी
हर शब एक लफ्ज़ पढ़ूँगी और
हर शब नये मानी निकालूंगी

तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
हर लफ्ज़ में मैं तुम को पालूंगी
तुम फिर मिलो की ना मिलो मुझ को
मैं अल्फ़ाज़ को बच्चों की तरह पालूंगी

तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
मैं खामोशी मैं ही हर बात छिपा लूँगी
मुमकिन है किसी रोज़ मेरा भी खत मिले
तुम्हे खुद को कब तक रोकूंगी कब तक टालून्गी
हाँ तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना

15 comments:

शशि "सागर" said...

"यूं ही खत लिखते रहना........
bade hi sundar bhaw sir ji...
han ye batayiyega khat aaya ya nahee...hahahah
achha laga padhna..

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....

हरकीरत ' हीर' said...

तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
मैं खामोशी मैं ही हर बात छिपा लूँगी
मुमकिन है किसी रोज़ मेरा भी खत मिले
तुम्हे खुद को कब तक रोकूंगी कब तक टालून्गी
हाँ तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना

इन्साल्लाह वो यूँ ही ख़त लिखती रहे आपको ...अच्छी शायरी करते हैं आप ......!!

राजीव तनेजा said...

बहुत ही उम्दा रचना

Archana Gangwar said...

मैं खामोशी मैं ही हर बात छिपा लूँगी
मुमकिन है किसी रोज़ मेरा भी खत मिले

anil kya baat hai.....
kitni sadgi aur mitthas ghole ker shabdo ko chuna hai....

Raj said...

तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
हर लफ्ज़ में मैं तुम को पालूंगी
तुम फिर मिलो की ना मिलो मुझ को
मैं अल्फ़ाज़ को बच्चों की तरह पालूंगी
खत की कहानी... हमारे दिल उतर गई पुरानी यादों को लेकर.....रचना लाज़वाब है।

खोरेन्द्र said...

तुम फिर मिलो की ना मिलो मुझ को
मैं अल्फ़ाज़ को बच्चों की तरह पालूंगी
sundar

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Itni muhabbat se kahogi, to koi kyun na likhega....?
Behad khoobsoorat!

विनोद पाराशर said...

मॆं तो यही कहूंगा अनिल जी आप इसी तरह कवितायें लिखते रहिये.प्रेम की अति-सुन्दर अभिव्यक्ति.किसी शायर ने कहा हॆ:-
कॊन कहता हॆ,मॊहब्बत में जुबां होती हॆ
अरे यह तो वो हककीकत हॆ जो नजरों से बयां होती हॆ.

kumar zahid said...

तुम मुझे यूं ही खत लिखते रहना
फूलों की तरह किताबों मैं संभालूंगी
हर शब एक लफ्ज़ पढ़ूँगी और
हर शब नये मानी निकालूंगी

मैं अल्फ़ाज़ को बच्चों की तरह पालूंगी

behatar zajbat--likhte rahein--

masoomshayer said...
This comment has been removed by the author.
masoomshayer said...

बहुत बहुत शुक्रिया आप सभी लोगों का मेरे कविता को प्यार देने के लिये

Anonymous said...

Wonderful...wah wah wah!!!!!!!

masoomshayer said...

Anonymous said...
Wonderful...wah wah wah!!!!!!!
shukriyaa

Rewa Tibrewal said...

dis is even more nicee.....short but too effective....pyar ki gehrai dikhati hai yeh lines bhi