सागर तो गहरा है
तूफान का पहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है
तुम नाव बनो मेरी
उस पार को जाना है
इस पार सराय है
उस पार ठिकाना है
तुम से जो मेरा है
रिश्ता वो गहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है
मैं बालक तेरा हूं
तू दूर पिता क्यों है
तुझ में इक जीवन है
तो मुझ में चिता क्यों है
ये भेद अगर कुछ है
ये भेद भी गहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है
हर दर्द ये झूठा है
हर सुख भी झूठा है
सब झूठ है इस जग में
तू जब तक रूठा है
दिल में है दिल तेरा
चेहरे में चेहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है
मेरे पास तो आयो ना
मुझे पास बुलाओ ना
मैं तो इक निर्बल हूं
मुझे और सताओ ना
मुझे अमृत दे दो तुम
मेरा जीवन सहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है
तेरा नाम ही अमृत है
तेरा नाम ही शाक्ती है
तेरा नाम भवर भी है
तेरा नाम ही मुक्ती है
जब गौर किया जाना
सागर तेरा चेहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है
2 comments:
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है
sir ji .....utkrist abhiwaykti hai.
bahut hi komal bhaw piroye hain aapne bilkul balak kee tarah
shashi bahut bahut dhnayavaad
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