Saturday, August 15, 2009

दिल मेरा बालक सा



सागर तो गहरा है
तूफान का पहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है

तुम नाव बनो मेरी
उस पार को जाना है
इस पार सराय है
उस पार ठिकाना है
तुम से जो मेरा है
रिश्ता वो गहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है

मैं बालक तेरा हूं
तू दूर पिता क्यों है
तुझ में इक जीवन है
तो मुझ में चिता क्यों है
ये भेद अगर कुछ है
ये भेद भी गहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है

हर दर्द ये झूठा है
हर सुख भी झूठा है
सब झूठ है इस जग में
तू जब तक रूठा है
दिल में है दिल तेरा
चेहरे में चेहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है

मेरे पास तो आयो ना
मुझे पास बुलाओ ना
मैं तो इक निर्बल हूं
मुझे और सताओ ना
मुझे अमृत दे दो तुम
मेरा जीवन सहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है

तेरा नाम ही अमृत है
तेरा नाम ही शाक्ती है
तेरा नाम भवर भी है
तेरा नाम ही मुक्ती है
जब गौर किया जाना
सागर तेरा चेहरा है
दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है

2 comments:

शशि "सागर" said...

दिल मेरा बालक सा
साहिल पर ठहरा है

sir ji .....utkrist abhiwaykti hai.
bahut hi komal bhaw piroye hain aapne bilkul balak kee tarah

masoomshayer said...

shashi bahut bahut dhnayavaad