शीशमहल में अभी तो जाने कितने दिन बर्बाद करेगा
जब पत्थर की बारिश होगी पत्थर का घर याद करेगा
खुश्बू रंग मेरे सब ले कर पहले चला गया है वो
ये पतझड़ का मौसम आ के मुझ को क्या बर्बाद करेगा
मेरे साथ कभी कभी तो वो भी खुश हो जाता था
मुझको भुला दिया लेकिन कुछ लम्हे तो याद करेगा
छोड़ के मुझको गया था जिस दिन बात अनोखी पूछी थी
इतना अब बतला दे मुझ को तू क्या मेरे बाद करेगा
अपनी खुश्बू रंग भी अपना खारों को वो देता है
मुरझा गया जिस दिन गुन्चा हर काँटा ये याद करेगा
क्या क्या किस के साथ किया ये तो खबर मुझे भी थी
इतना पर मालूम नही था मुझको भी बर्बाद करेगा
मेरे लिए बहुत कुछ उस को करना है वो कहता है
आज नही गर करता तो क्या मर जाने के बाद करेगा
मैने तुझ को छोड़ दिया था जिस दिन तूने जाना चाहा
मासूम पूछता है तुझसे तू दिल को कब आज़ाद करेगा
Thursday, August 13, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
शीशमहल में अभी तो जाने कितने दिन बर्बाद करेगा
जब पत्थर की बारिश होगी पत्थर का घर याद करेगा
शीशमहल मे रहने वाले, तब कम पत्थर घर को याद ही नही करते, जब तक पत्थर ना लगे और पत्थर घर मे रहने वाले यही
सोच कर अपना जीवन गवाँ देते है की, कब वो शीशमहल वाला उसे याद करे....
क्या क्या किस के साथ किया ये तो खबर मुझे भी थी
इतना पर मालूम नही था मुझको भी बर्बाद करेगा
जब ये सब पता है, तो आशा रखना बेकार है, वो पुराने को छोड़ नये को बर्बाद करेगा....
rachana tak ane ek liye dhanyavaad nidhi
bahut acha blog banaya hai
rachna bahut achi likhi hai
shubkamnayon ke saath
shukriya nira
Post a Comment