गमों की धूप मिली अश्कों का साया है
तेरे प्यार मैं मैने और क्या कमाया है?
ये सर्माया भी मैं दिल में संभालती हूं
ना दर्द को बेघर किया ना
आँखों से कभी अश्क निकलती हूं
तेरे ही सारे नक्श हैं तेरे ही ये अक्स हैं
जानती हूं जितने गम देगा मुझे
उतना ही दर्द से तू नीज़ात पाएगा
दर्द-ओ-गम से ना इनकार करूँगी कभी
सारी तल्खी तन्हा तू कैसे उठाएगा?
ये जो भी ईनाम दिए तूने
कब किसी और से बाँटे हैं
तेरे तोहफे में मैने कभी गिना ही नही
कितने फूल हैं कितने काँटे हैं
अगर तू अपने खार मुझे देता है
मुझे यही लगता है अपना प्यार मुझे देता है
प्यार ना होता मुझ से तो ये तल्खियाँ
कहीं भी तो छोड सकता था
कोई तो बात थी जो सारे आँसू मेरे लिए
संभाल के रखता था
तू जनता था कि तेरे आँसू मेरी आँखों मैं आए
तो ख्वाब हो जाएँगे
एक दिन आएगा ये सारे खार गुलाब हो जाएँगे
तू खफा होता है तो भी
तो बस प्यार देता है
दोनो मैं दुया होती है तेरी
गुलाब देता है या खार देता है
गमों की धूप मिली अश्कों का साया है
तेरे प्यार मैं मैने और क्या कमाया है?
इस के साथ ही गुज़रेगी ज़िंदगी ये मेरा सरमाया है
मेरे सिवा किसी के पास ये सौगात नही है
ये मुहब्बत की हक़ीक़त है जो मिली मुझ को
लफ़्ज़ों की कोरी बात नही है
मैने जन्मों तक मुहबाबत् की तब ही पाया है
ये जो गमों की धूप है अश्कों का साया है
मुझे इस गर्म धूप में और भीगे साए में
तू नज़र आया है
बस तू नज़र आया है
तेरे प्यार मैं मैने और क्या कमाया है?
ये सर्माया भी मैं दिल में संभालती हूं
ना दर्द को बेघर किया ना
आँखों से कभी अश्क निकलती हूं
तेरे ही सारे नक्श हैं तेरे ही ये अक्स हैं
जानती हूं जितने गम देगा मुझे
उतना ही दर्द से तू नीज़ात पाएगा
दर्द-ओ-गम से ना इनकार करूँगी कभी
सारी तल्खी तन्हा तू कैसे उठाएगा?
ये जो भी ईनाम दिए तूने
कब किसी और से बाँटे हैं
तेरे तोहफे में मैने कभी गिना ही नही
कितने फूल हैं कितने काँटे हैं
अगर तू अपने खार मुझे देता है
मुझे यही लगता है अपना प्यार मुझे देता है
प्यार ना होता मुझ से तो ये तल्खियाँ
कहीं भी तो छोड सकता था
कोई तो बात थी जो सारे आँसू मेरे लिए
संभाल के रखता था
तू जनता था कि तेरे आँसू मेरी आँखों मैं आए
तो ख्वाब हो जाएँगे
एक दिन आएगा ये सारे खार गुलाब हो जाएँगे
तू खफा होता है तो भी
तो बस प्यार देता है
दोनो मैं दुया होती है तेरी
गुलाब देता है या खार देता है
गमों की धूप मिली अश्कों का साया है
तेरे प्यार मैं मैने और क्या कमाया है?
इस के साथ ही गुज़रेगी ज़िंदगी ये मेरा सरमाया है
मेरे सिवा किसी के पास ये सौगात नही है
ये मुहब्बत की हक़ीक़त है जो मिली मुझ को
लफ़्ज़ों की कोरी बात नही है
मैने जन्मों तक मुहबाबत् की तब ही पाया है
ये जो गमों की धूप है अश्कों का साया है
मुझे इस गर्म धूप में और भीगे साए में
तू नज़र आया है
बस तू नज़र आया है
5 comments:
ना दर्द को बेघर किया ना
आँखों से कभी अश्क निकलती हूं
तेरे ही सारे नक्श हैं तेरे ही ये अक्स हैं
it's different...any one can feel the pain of love...
निधि जी बहुत बहुत धञायवाद
Badee man bhavan rachnayen hain..!
Aap blog 'setting' me jake, 'comments' pe click karen..'comment moderation' hata den pe click karen..hat jayega..
Anek shubhkamnayen!
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shukriya shama jee
VERY VERY POSITIVE RACHNA.....SACH MAI....AISA SAB SOOCH LE THO KYA BAAT HAI....GR88 WRITE
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