हदें भी बनती रही
क़ैदखाने खड़ी करती रही
चारदीवारी माँग ली
जिस की कमज़ोर कोई दीवार नही हो
डरती थी कि बाहर ना निकल जाऊं
कहीं मुझ को किसी प्यार नही हो
तुम जानते थे मैं बहुत सख़्त हूं
पर ये भी जानते थे सख्ती बर्फ सी है
पिघल जाऊंगी
तुम्हे अपने सांचों पे एतबार था
इल्म था की इस में ही ढल जाऊंगी
तुम जब भी आते रात में आते
जब मैं नींद में सोती रहती थी
मैं खुद से कहीं दूर हो जाती उस पल
खुद से ही बिछुड़ के रोती रहती थी
तुम एक दिन मुझे "पर" दे कर चले गये
मुझे परी बना दिया
तुम जानते थे दीवार नही तोड़ सकती मैं कभी
तुम ने मुझे उड़ाना ही सिखा दिया
चार दीवारी बिना छत की थी
मैं उड़ के तुम्हारी बाहों में भर गयी
मैने चाहा था मुहब्बत ना करूँ तुम से
मैं खुद से भी उस रात बग़ावत कर गयी
कितना दुश्वार था तुम से प्यार करना
मगर कितना आसान हो गया
मैने हर ज़मीन से दूर हो गयी
मेरा घर ये आसमान हो गया
होना ही था मैने एक चाँद को चाहा था
और प्यार में महबूब के घर जाने का रिवाज़ है
मैं खुद को किसी आवाज़ से नही रोक पाती हूँ
मेरे दिल का इस दर्ज़ा बेबस सा अंदाज़ है
अब खुद से पूछती रहती हूं
क्या ग़लत है कि मैने तारों को वस्ल का गवाह किया है
आज सच सच बता दे मुझे में ही रहने वाली
मैने प्यार किया है की गुनाह किया है
क़ैदखाने खड़ी करती रही
चारदीवारी माँग ली
जिस की कमज़ोर कोई दीवार नही हो
डरती थी कि बाहर ना निकल जाऊं
कहीं मुझ को किसी प्यार नही हो
तुम जानते थे मैं बहुत सख़्त हूं
पर ये भी जानते थे सख्ती बर्फ सी है
पिघल जाऊंगी
तुम्हे अपने सांचों पे एतबार था
इल्म था की इस में ही ढल जाऊंगी
तुम जब भी आते रात में आते
जब मैं नींद में सोती रहती थी
मैं खुद से कहीं दूर हो जाती उस पल
खुद से ही बिछुड़ के रोती रहती थी
तुम एक दिन मुझे "पर" दे कर चले गये
मुझे परी बना दिया
तुम जानते थे दीवार नही तोड़ सकती मैं कभी
तुम ने मुझे उड़ाना ही सिखा दिया
चार दीवारी बिना छत की थी
मैं उड़ के तुम्हारी बाहों में भर गयी
मैने चाहा था मुहब्बत ना करूँ तुम से
मैं खुद से भी उस रात बग़ावत कर गयी
कितना दुश्वार था तुम से प्यार करना
मगर कितना आसान हो गया
मैने हर ज़मीन से दूर हो गयी
मेरा घर ये आसमान हो गया
होना ही था मैने एक चाँद को चाहा था
और प्यार में महबूब के घर जाने का रिवाज़ है
मैं खुद को किसी आवाज़ से नही रोक पाती हूँ
मेरे दिल का इस दर्ज़ा बेबस सा अंदाज़ है
अब खुद से पूछती रहती हूं
क्या ग़लत है कि मैने तारों को वस्ल का गवाह किया है
आज सच सच बता दे मुझे में ही रहने वाली
मैने प्यार किया है की गुनाह किया है
3 comments:
khoob kaha hai :)
mehek shukriya
very nicee lines....i truely say that u know feelings of women and u put them in words even more nicely
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