कोई एक आँसू भी आने ना देता
सीने से चेहरा हटाने ना देता
आतीं कभी तुम अगर ज़िंदगी में
कभी एक पल को भी जाने ना देता
कभी ये भी कहता चली जायो अब तुम
बहुत दूर लेकिन यूं जाने ना देता
नींदें तुम्हारी मेरी बाज़ुओं में
सीने से सर ये हटाने ना देता
सर रख के सोती मेरे बाज़ुओं पर
कभी तुमको तकिया लगाने ना देता
खफा हो किसी से खुशामद मैं करता
किसी और को मैं मनाने ना देता
पढ़ता मुहब्बत आँखों में शब भर
कुछ भी लबों से बताने ना देता
वफ़ा बेवफ़ाई जो कुछ भी करतीं
किसी बात के भी मैं ताने ने देता
कोई शब गुज़रती खामोशियों मे
लबों को लबों से हटाने ना देता
सुनता ये ग़ज़लें शब भर तुम्ही से
महफ़िल में यूं पर मैं गाने ना देता
सुलगते हुए पल मेरे दिल में रखता
धड़कन तुम्हारी जलाने ना देता
तुम्हरी भी कसमे मैं पूरी करता
वादा तुम्हे इक निभाने ना देता