Sunday, May 4, 2008

ना देता












कोई
एक आँसू भी आने ना देता
सीने से चेहरा हटाने ना देता

आतीं कभी तुम अगर ज़िंदगी में
कभी एक पल को भी जाने ना देता

कभी ये भी कहता चली जायो अब तुम
बहुत दूर लेकिन यूं जाने ना देता

नींदें तुम्हारी मेरी बाज़ुओं में
सीने से सर ये हटाने ना देता

सर रख के सोती मेरे बाज़ुओं पर
कभी तुमको तकिया लगाने ना देता

खफा हो किसी से खुशामद मैं करता
किसी और को मैं मनाने ना देता

पढ़ता मुहब्बत आँखों में शब भर
कुछ भी लबों से बताने ना देता

वफ़ा बेवफ़ाई जो कुछ भी करतीं
किसी बात के भी मैं ताने ने देता

कोई शब गुज़रती खामोशियों मे
लबों को लबों से हटाने ना देता

सुनता ये ग़ज़लें शब भर तुम्ही से
महफ़िल में यूं पर मैं गाने ना देता

सुलगते हुए पल मेरे दिल में रखता
धड़कन तुम्हारी जलाने ना देता

तुम्हरी भी कसमे मैं पूरी करता
वादा तुम्हे इक निभाने ना देता

Wednesday, April 23, 2008

masoom kee shayari

ये राम की रहमत है रहीम की रामायण
तुम जिसको समझते हो मासूम का पागलपन